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यूं ही कोई | Romantic love poems in Hindi
तू वो रूप की धनी हो, जिसे खरीदा नहीं जा सकता
तू वो नज़ाकत की मूरत हो, जिसको दुबारा बनाया नहीं जा सकता
नफ़ासत की वो कल्पना हो तुम, जिसे देखे बिना रहा नहीं जा सकता
अच्छी बात की वो शैली हो तुम, जिसे उसको जुदा नहीं किया जा सकता
तू वो खुशबू है, जिसे हर पल महसूस किया जा सकता है
सोचो, कोई यूं ही इस तरह की बातें नहीं करता
पहले गोंद की तरह शुष्क और कठोर,
आद्र होते ही चिपक जाने वाली रहस्य,
यूं ही किसी को पता नहीं चलता।
भावुक प्रकृति,कोमल गात, मदभरी आंखें,
हृदय में एक ऐसी तृष्णा जगा देना,
जो किसी को भस्म कर देने की बुनियाद
हर कोई नहीं रखता।
नहीं जानता इसे कैसे शांत करूं ?
इसको शीतल करने वाली सुधा भी वहीं मिलेगी,
जहां से यह तृष्णा मिली है इस तरह की आशा
यूं ही कोई नहीं करता।
पता नहीं चलता तेरे समीप आने की वज़ह
वजह तो बहुत है तुम्हारी हर वजहों में घुसने का,
किन्तु सोचता हूं कि इस नग्न वजह को
जब कोई समझ ही न पाए,
ऐसी वजह किस काम की,
ऐसी वज़ह हर कोई नहीं बतलाता।
पर आज ऐसा लगता है कि,
काश! ऐसी आंखे भी होती जो लोगो के
हृदयों के भीतर घुस सकती,
तो शायद उसके सामने सीधी आंखें करके बात कर सकते
सोचना क्योंकि कोई यूं ही ऐसा नहीं कहता।
– रंजन गुप्ता
What a beautiful poem…I loved it… this has to be one of the best poem i have read…. amazing job
Wow
Hamko to malum hi nahi tha ki ak poet bhi ho
Unbelievable 😲😲😲😲😲👌👌👌👌😍😍😍
Nice ,
Adbhut
Avishwasaniya
Akalpaniya
😲😲😲👌👌👌👌
All The Best 👍👍👍👍👍
Lagat raha🙏🙏🙏🙏🙏👍👍👌👌👌
Thnxx alot