muktak kavya |
फ़साद समझकर छोड़ देता हूं | Heart touching breakup poems in hindi
बेबस तारे कभी चला नहीं करते पर टुटते बहुत हैं
उनके टूटने के रहस्यों को फ़साद समझकर छोड़ देता हूं
वरना गैरत किसको है इस दुनियां में तकलीफे जानने कि
लोग तो आंखों में भरी नज़ाकत से भी आंखे फेर लेते हैं जो कि बहुत हैं।
हिफाजते कसुरवार साबित होने लगते हैं जब
आप की एहमियत दूसरों के नज़रों में कम हो जाती है
वरना जरूरत किसको है परवाह करने की
हम तो सूरत भी ना देखें पर क्या करें प्यार जो बहुत है।
गर पहचान ना पाओ कोई बात नहीं
पहचान से खीझने कि कोशिश मत करना
आदत तो हमें भी नहीं जलील/नफ़रत करने की
प्यार करना हो तो बताओ
वरना हाज़िरी लगाने वाले बहुत हैं।
: रंजन गुप्ता
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Thank You So Much For Reading This poem. I’m waiting for your valuable comment
Jai mahakal
Awesome 👌👌👌
अतिसुंदर
Waah 👏👏🙌
Thanx ❤️
Thanx
जय महाकाल