उमड़ते जज़्बात | Breakup poem in hindi

By Ranjan Gupta

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Breakup poem in hindi
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उमड़ते जज़्बात | Breakup poem in hindi


सुना है ये वक्त किसी की इंतज़ार नहीं करती,
फिर क्यों हम किसी के इंतजार में घंटों लगा देते है।
हमने वादा किया था कि तुम्हे(वक्त)और हमें 
साथ-साथ चलना है फिर क्यों हम अपने आप को 
किसी के पीछे छोड़ देना चाहते हैं

ये जिस्मानी और रूहानी एहसास तो अब खोखली सी 
मुस्कान-ए-जंग मात्र ही है जिससे हम जूझ रहे है
शायद हम भी नये वाले आप में 
पुराने वाले तुम ढूंढ़ने की गुस्ताखी कर रहे हैं
होता बहुत खूबसूरत लम्हा जब 
वो भी उसी तरह हम पे मरते जैसे हम मर रहे हैं

हम लाख कोशिशें क्यों न कर ले अपनी ज़िन्दगी में,
पर प्यार में हारना लाज़मी-सा लगने लगा है
एक बार फिर हम अपने ईश्क की 
कुछ क्षण भेंट के मोहताज़ होने लगे हैं
शायद इसलिए कि आगे का जीवन सुकून से बीते, 
इसकी चिंता सताने लगी है

अब तो तुम्हारी यादें भी कहती है इठला कर, 
चलो वहां जहां बेड़ियों की गुंजाइश न हो तनिक भर
यही रब से इल्तिज़ा रहेगी,
खुश रहो हमेशा यही दुआ रहेगी।

                                       
   रंजन गुप्ता

Thank You So Much For Reading This poem. I’m waiting for your valuable comment

Ranjan Gupta

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